Friday 18 December 2020

पाठ – 9 मन के जीते जीत

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पाठ – 9    मन के जीते जीत













1). 
इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए:-

1. 
जीवन में मुश्किलों से पार कौन लोग जा पाते हैं ?
उत्तरमुश्किलों से पार वे ही जा पाते हैं जो उनके आगे  सिर नहीं झुकाते , उनका दृढ़ता से सामना करते हैं |




2. 
राजा जनक के दरबार में अष्टाव्रक को देखकर सभी क्यों हंसने लगे ?
उत्तरराजा जनक के दरबार में अष्टावक्र के टेढे़ मेढे़े   शरीर को देखकर सभी हंसने लगे |

3. 
राजा जनक तथा दरबारी अष्टाव्रक के सामने क्यों नतमस्तक हुए ?
उत्तरटेढ़े मेढ़े होने से उसकी मिठास में कमी नहीं आती | फुल की पंखुड़ी के टेढ़े होने से उसकी खुशबू खत्म नहीं हो जाती और नदी की धारा के टेढ़े होने से उसका जल दूषित नहीं हो जातायह सुनकर राजा जनक तथा दरबारी ना केवल  लज्जित हुए बल्कि अष्टावक्र की विद्वता के सामने नतमस्तक हुए |

4. 
सूरदास ने किसकी आराधना में काव्य रचना की ?
उत्तरसूरदास ने श्री कृष्णा की अराधना में काव्य रचना की |

5.
जायसी के प्रसिद्ध महाकाव्य का नाम लिखें |
उत्तरजायसी के प्रसिद्ध महाकाव्य का नाम पद्मावत है |

6. 
रामानंद सागर द्वारा टेलीविजन पर प्रसारित  प्रख्यात धारावाहिक 'रामायण' में संगीत मुख्य रूप से किसने दिया ?
उत्तररामानंद सागर द्वारा टेलीविजन पर प्रसारित प्रख्यात धारावाहिक 'रामायण' में संगीत  मुख्य रूप से रविंद्र जैन ने दिया |

7. 
बिजली के बल्ब का आविष्कार किसने किया?
उत्तरबिजली के बल्ब का आविष्कार थामस अल्वा एडिसन ने किया |

8. 
ब्रेल लिपि का आविष्कार किसने किया?
उत्तरब्रेल लिपि का आविष्कार लुई ब्रेल ने किया |


9. 
महाराजा रणजीत सिंह में कितनी आयु में लाहौर पर अधिकार कर लिया था?

उत्तरमहाराजा रणजीत सिंह ने  19 वर्ष  की आयु में लहार पर अधिकार करें कर लिया था |


10. 
बाबा आमटे को भारत सरकार ने समाज सेवा के लिए पदमश्री तथा पदमभूषण का सम्मान कब दिया?
उत्तरबाबा आमटे को समाज सेवा के लिए भारत सरकार ने 1971 में पद्मश्री तथा 1986 में पद्मभूषण सम्मान दिया |


2). 
इन प्रश्नों के उत्तर लगभग 4 या 5 वाक्यों में लिखें:-

1. 
राजा जनक के दरबार में अष्टाव्रक को देखकर जब सभी हंसने लगे तो अष्टाव्रक ने क्या कहा?
उत्तरअष्टावक्र  जब राजा जनक  दरबार में गए तो   उसके टेढ़े - मेढ़े शरीर को देखकर सभी हंसने लगे | अष्टावक्र  ने कहा गन्ने के टेढ़े - मेढ़े होने से उसकी मिठास में कमी नहीं आती | फूल की पंखुड़ी के टेढ़े होने से उसकी खुशबू खत्म नहीं हो जाती और नदी की धारा के टेढ़ी होने से उसका जल दूषित नहीं हो जाता |" यह सुनकर राजा जनक तथा दरबारी ना केवल लज्जित हुए बल्कि अष्टावक्र  की विद्वता के सामने नतमस्तक हुए |


2. 
शेरशाह क्यों लज्जित हुआ और उसने जायसी को क्यों सम्मान दिया?
उत्तर : जब शेरशाह ने जायसी का उपहास उड़ाया तो उन्होंने कहा, ' मोहि  का हंससि, कोहरहिं ? अर्थात तुम मुझ पर हंसे हो अथवा उस  कुम्हार (ईश्वर, जिसने मुझे बनाया है ) पर ? यह सुनकर शेरशाह बहुत लज्जित हुआ और उन्हें बहुत सम्मान दिया |

3.
थामस एडिसन के ध्वनि संबंधी आविष्कारों से लोग क्यों आश्चर्यचकित हो जाते थे?
उत्तरआविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन से सारा संसार परिचित है | उन्होंने जीवन में अनेक कष्ट झेले किंतु  कभी निराश नहीं हुए | उन्होंने हजार से भी अधिक अविष्कार किए जिनमें बिजली के बल्ब का अविष्कार दुनिया के लिए सबसे बड़ी देन है |वे पूरी तरह सुन भी नहीं सकते थे किंतु उनके द्वारा किए गए धमनी से संबंधित अविष्कार जैसे माइक्रोफोनफोनोग्राफ,   कार्बन टेलिफोन ट्रांसमीटर आदि से लोग आश्चर्यचकित होते थे कि जो व्यक्ति पूरी तरह स्वयं  सुन नहीं सकता वह किस प्रकार ध्वनि के हर पहलू को भली- भांति समझ लेता है | निस्संदेह विकलांगता उनके काम में कभी बाधक नहीं बनी |

4. 
लुई ब्रेल द्वारा नेत्रहीनों के पढ़ने के लिए बनाई लिपि की क्या विशेषता है?
उत्तरइस तरह मात्र 3 वर्ष की आयु में नेत्रहीन हो जाने वाले लुई ब्रेल ने भी जीवन में अनेक कष्ट सहे | वे स्वयं  दृष्टिहीन लोगों के स्कूल में पढ़े अध्यापक बने किंतु उस समय तक नेत्रहीनों के लिए सीखने के लिए कोई बढ़िया तकनीक नहीं थीअतएव  लुई ब्रेल ने अनथक प्रयत्नों के बाद नेत्रहीनों के लिए एक ऐसी लिपि का आविष्कार किया जिससे नेत्रहीन पढ़ने में समर्थ हो सके | इस लिपि को ब्रेल लिपि कहते हैं | यह  लिपि कागज पर उभरे चिन्ह होते हैं जिन्हें स्पर्श कर वे पड़ते हैं |

5.   बाबा आमटे का समाज सेवा में क्या योगदान रहा?
उत्तरसमाज सेवा में भी विकलांग कभी पीछे नहीं हटे | सुप्रसिद्ध समाज सेवी बाबा आमटे से भला कौन  परिचित नहीं | इनका असली नाम मुरलीधर देवीदास आमटे था | यह स्वयं भयंकर अस्थि विकलांगता के शिकार थे परंतु फिर भी इन्होंने अपनी सारी उम्र कुष्ठ रोगियों और  समाज से परित्यक्त लोगों की सेवा में बिता दी | महाराष्ट्र के वडोरा के निकट आनंदवन आश्रम में इन्हीं की प्रेरणा   अनथक प्रयासों से अनेक कुष्ठ  रोगी भीख मांगना छोड़  आश्रम करके पसीने की कमाई करने में समर्थ हुए सम्मानपूर्वक जीवन जीने लगे | बाबा आमटे को समाजसेवा के लिए भारत सरकार ने 1971 में पद्मश्री तथा 1986 में पदमभूषण सम्मान दिया | इनके अतिरिक्त इन्हें  अनेक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय  सम्मान पुरस्कार मिले |

6. 
भारतीय  सि्पनर चंद्रशेखर का क्रिकेट में क्या योगदान था ?
उत्तरभारतीय क्रिकेट में विकलांगता के बावजूद जगह बनाना अपने आप में अनूठी बात है | यह करिश्मा कर दिखाया भारतीय स्पिनर चंद्रशेखर ने | उनका एक हाथ  पोलियोग्रस्त हो गया था | किंतु फिर भी वह उसी पोलियो ग्रस्त हाथ से बड़ी अच्छी गेंदबाजी करते और बल्लेबाज को पैविलियन पहुंचा देते | उन्होंने भारतीय टीम की ओर से 58  टेस्ट मैच खेले  और 7199 रन देकर 242 विकेट लियेभारत सरकार द्वारा उन्हें  अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जा चुका था |

7. 
राणा सांगा और महाराजा रणजीत सिंह की वीरता के विषय में आप क्या जानते हैं?

उत्तरराणा सांगा ने बचपन में अपनी एक आंख खो दी थी और बाद में युद्धों में एक हाथ और एक पैर को भी इन्होंने खो दिया किंतु इस विकलांगता का उनकी वीरता और साहस पर कोई असर नहीं पड़ा | बड़े-बड़े शासक उनके नाम से थर थर कांपते थे | राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी जैसे अनेक विरोधियों के दांत खट्टे किए | इसी तरह महाराजा रणजीत सिंह की चेचक के कारण एक आंख खराब हो गई थी | किंतु फिर भी वे निराश नहीं हुए | 19 वर्ष की आयु में उन्होंने लाहौर पर अधिकार कर लिया था | फिर धीरे-धीरे जम्मू कश्मीर, अमृतसरमुलतानपेशावर आदि क्षेत्रों पर इन्होने अधिकार कर लिया | अपने कुशल प्रबंधन, वीरता, न्यायप्रियता, दयालुता और दानशीलता के कारण महाराजा रणजीत सिंह को जाना जाता है |

8. 
भाग्य संवरता नहीं, संवारना पड़ता है - इन पंक्तियों में लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तरलेखक कहता है कि यदि दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना और जज्बा हो तो तमाम मुसीबतों को आखिरकार घुटने टेकने ही पढ़ते हैं | अब आप ही बताइए यदि इन विभूतियों ने जीवन के संघर्ष में अपनी हार मान ली होती तो क्या वे आज दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत बन पाते ? आइए, उठिए, अपने आत्मविश्वास दृढ़निश्चय, चित्र की एकाग्रता और अपनी शक्तियों को केंद्रित करें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़े | कहा भी है, 'भाग्य  सवारना नहीं , सुधारना पड़ता है " | और भी कहा गया है , "ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता अपने आप करते हैं |"